Monday 24 January, 2011

मैं सोच रहा था ..

किसी का काम करने की, किसी को कोई बाध्यता नहीं लेकिन काम नहीं कर पाने की स्थिति में समय पर सूचित या अवगत करा देना जरूरी है .. यह काम कराने से भी शायद ज्यादा महत्वपूर्ण व जरूरी है .. मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. आसपास की व्यथा को अभिव्यक्त करना ही चाहिये ..

शब्द ..

उस लेख की क्या चर्चा करें .. जो आपको अंदर तक हिला न दे .. हिलाने का मेरा अभिप्राय सकारात्मकता लिये हुए है .. क्योंकि मैं खुद भी नकारात्मकता में विश्वास नहीं करता हूं .. जिस सोच को आपका मन सहेज कर रखना चाहता है ऐसी सोच .. दिल से बाहर आकर शब्दों का रूप ले लेती है .. शब्दों की और अभिव्यक्ति की .. ताकत .. असीमित होती है .. मैं लिख रहा था .. मैं सोच रहा था ..
16 जनवरी 2011 - हम सभी बारनवापारा जंगल देखने जा रहे थे । रास्ते में कहीं ट्रेफिक-जाम था । उतरकर देखना चाहा था कि क्या हुआ है .. सड़क पर किनारे - पैर फिसल गया .. left ankle joint में जबरदस्त सूजन .. ईश्वर को धन्यवाद कि fracture नहीं हुआ ।

Friday 7 January, 2011

मैं सोच रहा था ..

कुशल घुड़सवार भी घोड़े से गिरता है .. कोई अच्छा तैराक भी पानी में डूब सकता है .. कोई प्रसिद्ध व सफल हार्ट स्पेशलिस्ट भी हार्ट अटेक से मर सकता है .. किसी भी अच्छे पायलेट की मौत भी तो वायुयान दुर्घटना में हो सकती है .. कई एस्ट्रालाजर्स हैं, जिनको की कई सिद्धहस्त समझते हैं .. लेकिन दूसरों का भविष्य बताने वाले ये हस्त-रेखा विशेषज्ञ व ये एस्ट्रालाजर्स अपने ही भविष्य से बेखबर रहते हैं .. । शरीर की कौन सी कोशिका कब अपना व्यवहार बदलकर दुष्टटता कर बैठे और कैन्सर का सबब बन बैठे .. ये कौन बता सकता है .. शायद कोई नहीं .. ।
फिर घमंड काहे का .. किस बात का .. ।
तो फिर महत्वपूर्ण क्या है .. यह प्रश्न स्वभाविक है .. मुझे यह तो नहीं मालूम कि महत्वपूर्ण क्या है .. लेकिन मैंने महसूस किया है कि - दिल से निकली शुभकामनाओं में और दिल से निकली आह में निहीत उर्जा की ताकत निश्चित रूप से असरकारक होती है और असका परिणाम व प्रभाव लिश्चित होता है .. अमृत या फिर विष की तरह .. मैं सोच रहा था ..
यह .. मैंने लिखा था - 12 जुलाई 2006 की सुबह 07.45 बजे । उपर लिखीं इन सारी बातों से .. मैं आज भी सहमत हूं .. ।
इसी दिन मैंने कहीं लिखा था .. आज वह कागज कहीं से सामने आ गया - आप बबूल का पेड़ लगाकर आम के पेड़ की कल्पना करते हैं .. । कल्पना करना तो आपका अधिकार है लेकिन .. मैं सोच रहा था .. कि क्या आप चिंतन भी करते हैं कि बबूल का पेड़ लगाकर आप आम के फल प्रप्ति की कैसे आस लगाए बैठे हैं । सकारात्मक प्रयास की परिणति सदैव लाभकारी व नकारात्मकता का परिणाम अनिष्टकारी ही होगा ।