Thursday 20 October, 2011

मैं सोच रहा था ..



अनजान होना
इतने शर्म की बात नहीं ..
मैं सोच रहा था ..
जितना
सीखने के लिए
तैयार
न होना ..

मैं सोच रहा था ..

लेकिन ..
मुझे लिखते समय इस बात का ध्यान जरूर रहता है
कि
जो भी मैं लिखूं उससे, मेरी समझ से, किसी को, कतई नुकसान न हो .. और
फिर जो मैं सोचता हूं उसे लिख देता हूं
इसलिये कि
मैं यह बख़ूबी जानता हूं कि मेरी सोच किसी को रूसवा नहीं कर सकती ..
तो फिर उसे अभिव्यक्त करने में कौन सा मेरा या फिर किसी और का घटता है ..
मैं सोच रहा था ..
मैं चिंतन कर रहा था .. मैं लिख रहा था .. फिर से ..

Wednesday 5 October, 2011

मैं सोच रहा था ..

- आइने का सच वो क्या जाने जो अंधा है .. मैं सोच रहा था ..
- Time splits fast that one may realize one day that the life infact is too short than what was thought earlier .. मैं सोच रहा था ..
- No need to dwell in the past .. not to dream of future .. as both are not in your hands .. but realize the present and just concentrate and enjoy .. मैं सोच रहा था ..
- Never aim too low or too high but just aim at the exact .. never get disappointed or never get overwhelmed with joy .. मैं सोच रहा था ..
- Do you know that what you dream is just possible .. मैं सोच रहा था ..
- Just desire and act for only that .. you find useful .. मैं सोच रहा था ..
- You are recognised by your acts and not by your ideas .. मैं सोच रहा था ..

Sunday 21 August, 2011

यह सही है कि सोचने से क्या होता है कि यह गलत है या फिर यह सही .. यह तो सब वक्त-वक्त की बात है .. यह सही है कि सोच पर किसी की सहमति सौभाग्य है .. और लेकिन यदि असहमति हो तो भी भला निराश क्यों होना .. क्योंकि यदि सोच में सचाई है तो आज नहीं तो कल वह अवश्य मान्य होगा .. लेकिन फिर भी यदि किसी की असहमति है तो उससे क्या कोई अभिव्यक्त करना छोड़ दे .. आवश्यकता इस बात की है कि सोच को अभिव्यक्त करना ही चाहिये .. यह सोच किसी को पसंद आ सकती है तो किसी को नहीं भी .. प्रकृति में अनेक रंग हैं किसी को अमुक रंग पसंद है तो किसी को अमुक .. सभी को एक ही रंग पसंद हो .. यह जरूरी तो नहीं ..
महत्वपूर्ण तो यह है कि आप कई लोगों को अपनी सोच की सकारात्मकता का लाभ देते हैं। आवश्यकता तो सोच को बदलने की है .. चिंतन की है। सोच को बदलने की दिशा में प्रयास स्वस्फूर्त होना चाहिये .. जोर-जबरदस्ती या बेमन से नहीं। अपनी बात को मनवाने के लिये आपको व्यापक संदर्भों में चिंतन करना होगा। एक दिन में कईयों की सोच को बदला नहीं जा सकता। सभी कुछ प्राकृतिक है .. बरसात फिर ठंड और गर्मी के बाद फिर से बरसात .. ये सभी स्थितियां अचानक और एक दिन में नहीं बदला करती। प्रकृति के नियमों को अनदेखा करके सोचना सार्थक प्रयास नहीं हो सकता। मीठा अच्छा लगता है लेकिन अत्यधिक मीठा खा लेने से मिठाई के लिये विरक्ति भाव पैदा हो जाता है। थोड़ा इंतजार करना जरूरी है। प्रकृति का नियम भी यही कहता है। जो कुछ भी घट रहा है वह सभी कुछ प्राकृतिक है और नया तो कुछ भी नहीं है। कहीं सूखा तो कहीं है - बाढ़ की त्रासदी .. यह तो प्रकृति का नियम है ..। फिर सही क्या है और गलत क्या है इसकी विवेचना करने से तो ज्यादा अच्छा है कि चिंतन करें कि कैसे कहीं सूखा और कैसे कहीं अतिवृष्टि पड़ने पर राहत का प्रयास करें। आप न तो अतिवृष्टि को रोक सकते हैं और न हीं आप सूखा को .. इस बात को भूलना कभी भी उचित नहीं होगा ..


Sunday 3 July, 2011

मैं सोच रहा था ..

(01) सफलता और प्रशंसा .. का नशा .. उन पर सिर चढ़कर बोल रहा था .. वे आत्स्तुति कर रहे थे .. वे कह रहे थे कि वे नहीं जानते कि नशा क्या है .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..
(02) कोई एक पत्थर / कहीं यूं ही पड़ा हुआ था / एक दिन, उसे उठाकर / किसी ने पूजना शुरू कर दिया / मैं देख रहा था / मुझे जलन भी हो रहा थी / मैं सोच रहा था / वक्त-वक्त की बात थी / बात किस्मत की थी / कि / पत्थर के दिन भी पलटते हैं ..
(03) अल्प-विराम ही .. लेकिन .. दे जाती है छोटी सी कील .. रफ्तार को .. मैं पंक्चर बनवा रहा था .. मैं सोच रहा था ..
(04) Oxygen is an essential most .. Hydrogen is considered as a power .. and .. H2 + O2 = H2O .. H2O means WATER .. water means flexibility and adjustment and POWER also .. मैं सोच रहा था ..
(05) कोई लेख हो .. कोई रेखा हो .. कोई रंग हो .. कोई चित्र हो .. कोई धुन हो .. कोई आवाज हो .. कोई दृष्य हो .. कोई व्यक्ति हो .. कोई वक्तव्य हो .. कोई अभिव्यक्ति हो .. यदि .. कोई भी .. कभी भी .. आपकी सारी प्राथमिकताओं को परे ढकेल दे तो .. मैं सोच रहा था .. इससे शक्तिशाली .. क्या कोई चिंतन .. उस वक्त .. हो सकता है ..
(06) स्थिति मुफलिसी की थी / स्थिति चिंतन की थी / इसलिये .. स्थिति चिंताजनक थी / मैं सोच रहा था ..

Sunday 19 June, 2011

लोग .. क्यों मुझसे ..

यह कतई संभव नहीं है कि जि़दगी का हर मौसम सुहाना ही हो .. हर साल .. हर महीना .. हर सप्ताह .. हर दिन .. हर घंटे .. हर पल .. कोई अभूतपूर्व व सुंदर हो और यादगार या बेमिसाल हो .. तो फिर .. मुझे यह समझ नहीं आता .. कि .. लोग .. क्यों मुझसे .. ये अपेक्षा करते हैं कि .. मैं कैनवास पर जो कुछ भी बनाउंगा .. वह लाजवाब ही होगा ..

कभी .. किसी पल ..

कभी .. किसी पल .. जब कुछ भी याद आता है .. इस तरह से लिख कर .. रख लेता हूं -
- किताब में कोई स्केच या रेखांकन अथवा फिर कोई अन्य फोटो या रेखात्मक अभिव्यक्ति की कोई आवश्यकता नहीं है ..
- I am aware of .. the Newton’s Law of Gravitation .. BUT .. I am yet to understand .. audio-visual attraction ..
- कभी .. ऐसा भी होता है कि भ्रम की स्थिति .. अच्छी लगती है .. हकीकत से दिल परहेज करता है .. शायद इसलिये भी कि .. वास्तविकता कई बार . नहीं ,, कई कई बार लगा है .. कि किताब तो महज किताब है .. की प्रतिकूलता से .. मन वाकिफ होता है और इसलिये ऐसी किसी स्थिति से बचना चाहता है ..
- ये शब्द-संकलन है .. या फिर आइना है .. वक्त के किसी हिस्से का .. मैं सोच रहा था ..
- क्या फिर से .. मैं रेखाओं और रंगो के करीब आ रहा हूं .. चाहे इस बात में कितनी भी सचाई हो लेकिन .. यह तो तय है और सच है .. कि मैं रेखा और रंग के कारण ही जाना जाता हूं ..

Thursday 9 June, 2011

ज़िंदगी ..

अवसाद के कुछ टुकड़े कभी-कभी यूं ही तफरीह करते हुए दस्तक दे जाते हैं .. ज़िंदगी के दरवाजे पर ..

Tuesday 7 June, 2011

तब दर्द .. दिल में होता है ..

जब कहीं कुछ खो जाता है .. फिर .. वजह .. चाहे कुछ भी हो .. तो .. दुख का होना स्वभाविक है और .. फिर यह उस घाव की तरह होता है जो शुरू में तो दर्द करता है लेकिन समय के साथ-साथ फिर जब क्रमशः घाव भरने लरता है तो दर्द भी .. धिरे-धिरे गायब होने लगता है .. कालांतर में .. चोट के निशान .. कभी याद दिलाते हैं तब दर्द .. दिल में होता है .. याद करके ..

Sunday 5 June, 2011

यह भी ..

गुरू जी कक्षा में पढ़ा रहे थे – कल जो करना है .. उसे आज और आज जो करना है .. बच्चों .. उसे अभी करना चाहिये .. । एक बच्चा उठा और कक्षा के बाहर जाने लगा । गुरू जी ने उससे बाहर जाने का कारण पूछा – बच्चे ने जवाब दिया – गुरू जी .. गुरू जी .. आप ही ने तो अभी-अभी कहा था कि .. कल जो करना है .. उसे आज ही कर लेना चाहिये .. इसलिये मैं घर जा रहा हूं .. कल का खाना भी .. आज ही खा लेना चाहता हूं ..

Saturday 4 June, 2011

my intutions ..

I am aware of my intutions .. I know .. but .. वही तो होना है .. जो किस्मत में लिखा है .. और जो लिखा है उसे कोई बदल तो नहीं सकता .. THESE ARE the situations about intitions .. intitions for myself ..

Friday 3 June, 2011

कहावतें ..

कहावतें .. मुझे लगता है कि यूं ही प्रचलन में नहीं आई हैं .. सार्थकता के बिना लम्बे समय तक .. कहावतों का .. अस्तित्व में बने रहना या सामयिक रह पाना असंभव है ..

Tuesday 24 May, 2011

शायद .. असंभव के करीब की स्थिति ..

साक्षात्कार में .. किसी मंच पर - सिद्धांतो की बातें करना .. आध्यात्म .. दर्शन .. सहानुभूति .. मानवता .. संवेदनशीलता .. जैसे विषयों पर बढ़चढ़ कर बोलना और यथार्थ में वैसा ही होना .. शायद .. असंभव के करीब की स्थिति है ..

विचारों की आवारागर्दी ..

विचारों की आवारागर्दी तो देखो कि - कभी-कभी सोच तो नहीं मालूम कहां-कहां चली जाती है .. ये तो अच्छा है कि कोई ये नहीं जान पाता कि मैं क्या सोच रहा हूं .. और ये बात मुझे गजब का सुकून देती है और मैं फिर से सोचने लग जाता हूं ..

Wednesday 27 April, 2011

मैं सोच रहा था ..

विचारों का मंथन था ..
मैं सोच रहा था ..
शब्द
जहां नहीं थे ..
वहां
फिर ..
तूलिका ने

साथ दिया था ..

Tuesday 26 April, 2011

मैं सोच रहा था ..

रेखा और रंग .. समय के आघात से टूटकर कुछ इस तरह से इकट्ठे हो गये थे कि मजबूर होकर .. मैं सोच रहा था .. कि आखिर ये क्या संप्रेषित करना चाहते हैं ..

Tuesday 1 March, 2011

6th sense .. parapsychic powers ..

6th sense .. parapsychic powers .. पिछले दिनों .. इन विषयों से जुड़ी कुछ बातें .. पढ़ने, सुनने व देखने मिलीं .. ये वे बातें हैं जिनको सामान्य तौर पर तार्किक संदर्भों में समझना और समझाना मुश्किल है । इससे संबधित कहीं पढ़ा था .. आज ही .. फिर से .. इसलिये वो बात ताजी हो गई और सोचा कि इसे share करूं .. ब्लाग में ।

Monday 24 January, 2011

मैं सोच रहा था ..

किसी का काम करने की, किसी को कोई बाध्यता नहीं लेकिन काम नहीं कर पाने की स्थिति में समय पर सूचित या अवगत करा देना जरूरी है .. यह काम कराने से भी शायद ज्यादा महत्वपूर्ण व जरूरी है .. मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. आसपास की व्यथा को अभिव्यक्त करना ही चाहिये ..

शब्द ..

उस लेख की क्या चर्चा करें .. जो आपको अंदर तक हिला न दे .. हिलाने का मेरा अभिप्राय सकारात्मकता लिये हुए है .. क्योंकि मैं खुद भी नकारात्मकता में विश्वास नहीं करता हूं .. जिस सोच को आपका मन सहेज कर रखना चाहता है ऐसी सोच .. दिल से बाहर आकर शब्दों का रूप ले लेती है .. शब्दों की और अभिव्यक्ति की .. ताकत .. असीमित होती है .. मैं लिख रहा था .. मैं सोच रहा था ..
16 जनवरी 2011 - हम सभी बारनवापारा जंगल देखने जा रहे थे । रास्ते में कहीं ट्रेफिक-जाम था । उतरकर देखना चाहा था कि क्या हुआ है .. सड़क पर किनारे - पैर फिसल गया .. left ankle joint में जबरदस्त सूजन .. ईश्वर को धन्यवाद कि fracture नहीं हुआ ।

Friday 7 January, 2011

मैं सोच रहा था ..

कुशल घुड़सवार भी घोड़े से गिरता है .. कोई अच्छा तैराक भी पानी में डूब सकता है .. कोई प्रसिद्ध व सफल हार्ट स्पेशलिस्ट भी हार्ट अटेक से मर सकता है .. किसी भी अच्छे पायलेट की मौत भी तो वायुयान दुर्घटना में हो सकती है .. कई एस्ट्रालाजर्स हैं, जिनको की कई सिद्धहस्त समझते हैं .. लेकिन दूसरों का भविष्य बताने वाले ये हस्त-रेखा विशेषज्ञ व ये एस्ट्रालाजर्स अपने ही भविष्य से बेखबर रहते हैं .. । शरीर की कौन सी कोशिका कब अपना व्यवहार बदलकर दुष्टटता कर बैठे और कैन्सर का सबब बन बैठे .. ये कौन बता सकता है .. शायद कोई नहीं .. ।
फिर घमंड काहे का .. किस बात का .. ।
तो फिर महत्वपूर्ण क्या है .. यह प्रश्न स्वभाविक है .. मुझे यह तो नहीं मालूम कि महत्वपूर्ण क्या है .. लेकिन मैंने महसूस किया है कि - दिल से निकली शुभकामनाओं में और दिल से निकली आह में निहीत उर्जा की ताकत निश्चित रूप से असरकारक होती है और असका परिणाम व प्रभाव लिश्चित होता है .. अमृत या फिर विष की तरह .. मैं सोच रहा था ..
यह .. मैंने लिखा था - 12 जुलाई 2006 की सुबह 07.45 बजे । उपर लिखीं इन सारी बातों से .. मैं आज भी सहमत हूं .. ।
इसी दिन मैंने कहीं लिखा था .. आज वह कागज कहीं से सामने आ गया - आप बबूल का पेड़ लगाकर आम के पेड़ की कल्पना करते हैं .. । कल्पना करना तो आपका अधिकार है लेकिन .. मैं सोच रहा था .. कि क्या आप चिंतन भी करते हैं कि बबूल का पेड़ लगाकर आप आम के फल प्रप्ति की कैसे आस लगाए बैठे हैं । सकारात्मक प्रयास की परिणति सदैव लाभकारी व नकारात्मकता का परिणाम अनिष्टकारी ही होगा ।